Simran Ansari

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रूहानी रिश्ता : भाग - 5

   समीरा आकर अपने काम में लग जाती है और थोड़ी देर बाद कुछ ग्राहक भी किताबें खरीदने आते हैं समीरा उन सब को उनकी पसंद के हिसाब से किताबें दिखाती है और इस तरह कई किताबें बिक जाती हैं..... बुक स्टॉल पर एक बार फिर से सन्नाटा हो जाता है तो समीरा बैठकर अपने बैग से अपना मोबाइल फोन निकालने लगती है तभी उसकी नजर अलमारी की चाभीयों पर पड़ती है.....


चाबियां देखकर उसे याद आता है कि यह तो उसी अलमारी की चाबी है जो कल करण ने उसे दी थी और उसे यह भी बताया था कि यह उसकी मां का कलेक्शन है..... फिर से वामन में सोचती है कि जब तक बुक स्टॉल पर सन्नाटा है कोई ग्राहक नहीं आ रहा तब तक मैं कोई बुक ही पढ़ लेती हूं मेरा मन में सोच कर वहां चाबियां लेकर अलमारी की तरफ जाती है और जैसे ही अलमारी खोलने लगती है अचानक से उसी याद आता है और वह अलमारी खोलते खोलते रुक जाती है और खुद से बढ़ बढ़ाते हुए बोलती हैं- ओह गॉड! जो बुक में कल घर पढ़ने के लिए ले गई थी वह तो मैं आज वापस लाना ही भूल गई आज सुबह लेट सो कर उठी तो ध्यान ही नहीं रहा परेशानी में वह खुद से ही बोले जा रही थी..... 

   तभी पुनीत पीछे से एक बुक उठाकर हल्के से समीरा के सर पर मारते हुए उससे पूछता है- क्या हुआ समीरा थोड़ी परेशान दिख रही हो??

पुनीत जी बात सुनकर थोड़ी दूर पर बैठा अजय थोड़ा मुस्कुरा कर बोलता है अरे शायद अभी तक करण नहीं आया इसीलिए समीरा परेशान हो रही होगी.....

उसकी यह बात सुनकर समीरा धीमी आवाज में बुध बताते हुए बोलती हैं वह करण तो आज नहीं आए तो ज्यादा अच्छा है नहीं तो मेरी तो बैंड बज जाएगी.....

इस पर खड़ा पुनीत पूछता है क्या हुआ समीरा कुछ कहा तुमने???

तो समीरा बात बदलते हुए कहती हैं नहीं मैंने कुछ नहीं कहा लेकिन वह अजय क्या कह रहा है मैं क्यों परेशान होंगी करण के आने ना आने से???

अरे नहीं यार वह अजय मजाक कर रहा है अभी तक करण भी नहीं आया ना बस इसलिए तुम बताओ क्यों परेशान हो? यू कैन शेयर विद अस हो सकता है हम तुम्हारी मदद कर सके- पुनीत ने फिर से पूछा

तो पुनीत की दो बार पूछने पर समीरा और ज्यादा बहाने नहीं बना पाई और उसे पूरी बात बताते हुए बोली- वह क्या है ना पुनीत कि कल मैं करण की मां की कलेक्शन वाली बुक्स में से एक बुक पढ़ने के लिए घर ले गई थी.......

उसकी यह बात सुनकर पुनीत उसे बीच में ही काटता हुआ बोल पड़ता है - बिना करण से पूछे???

अरे नहीं नहीं वह बात नहीं है मैं तो करण से पूछ कर ही ले गई थी लेकिन मैंने उससे ये कहा था कि सिर्फ 1 दिन के लिए ले जा रही हूं कल मैं पक्का वापस लाकर रख दूंगी।।।

हां तो फिर प्रॉब्लम क्या है रख दो- अजय ने बोला

अरे नहीं यार तुम दोनों समझ नहीं रहे हो वही तो मैं बता रही हूं मैं आज वह बुक घर पर ही भूल गई..... कहते हुए वह परेशान होकर उन दोनों की तरफ देखने लगती है

इस पर पुनीत वहां से बाहर अपनी शॉप की तरफ जाता हुआ बोलता है आई एम सो सॉरी समीरा हम दोनों इसमें तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकते वह क्या है ना करण अपनी मॉम की चीजों को लेकर कुछ ज्यादा ही प्रोटेक्टिव है क्योंकि वह अपनी मॉम से बहुत ज्यादा ही इमोशनली अटैच्चड था तो उसकी गुस्से का सामना तो तुम अकेले ही करना गुड बाय ऑल द बेस्ट......

इस पर समीरा बोलती है हां यह तो मुझे कल ही पता चल गया था उसकी मॉम की बात करने पर वह अचानक ही उठ कर चला गया था उसके बाद मैंने उससे ज्यादा कुछ नहीं पूछा अब आज देखो कैसा रिएक्ट करता है......

पुनीत बाहर की तरफ आ कर शॉप में अपने कस्टमर को अटेंड करने लगता है और अजय भी अपने काम में लग जाता है समीरा लाइब्रेरी में अंदर की तरफ परेशान सी चलती हुई सोचती रहती है कि क्या करें ऐसा क्या बहाना बनाएं जिससे करन उससे नाराज ना हो।।।

तभी थोड़ी देर बाद करण भी शाॅप के अंदर आता है और सबको हेलो बोलता है उसके बाद समीरा के पास आकर बैठ जाता है और उससे पूछता है- ऑल गुड???

इस पर समीरा चौक कर उसकी तरफ देखती हैं और जवाब में बोलती है- हम्म वेरी गुड.....

अच्छा तो फिर मुझे कोई अच्छी सी बुक सजेस्ट करो जो मुझे पसंद आए- करण से समीरा से कहता है

यह बात सुनकर समीरा हैरानी से करण की तरफ देखने लगती है और कहती है कल तो तुम कह रहे थे पढ़ना बहुत बोरिंग काम होता है आज एक ही दिन में इतना चेंज कैसे आ गया???

हां क्योंकि कल मुझसे किसी ने कहा था कि बुक्स भी इंटरेस्टिंग होती है उनसे भी काफी कुछ सीखने को मिलता है तो बस मैंने भी सोचा कि क्यों ना ट्राई किया जाए- कहकर करण समीरा की तरफ देखने लगा क्योंकि यह बात कल समीरा ने करण से कही थी.....

अच्छा तो इतना इफेक्ट पड़ा है तुम पर मेरी बातों का?? समीरा ने भी मुस्कुराते हुए पूछा

अरे मैंने कब कहा कि तुम्हारी बातों का कहकर करण मुस्कुराने लगा समीरा की तरफ देखते हुए

करण को ऐसे अपनी तरफ देख कर समीरा ने अपनी नजरें नीचे कर ली और आगे कुछ नहीं बोली.....

देखो अब मुझे तो बुक्स के बारे में ज्यादा नॉलेज है नहीं तो तुम उन सब में एक्सपर्ट हो तो तुम ही कोई अच्छी सी बुक सजेस्ट कर दो- करण ने उन दोनों की बीच की खामोशी को तोड़ते हुए कहा

इस पर समीरा उसको बुक रैक से निकालकर एक लव स्टोरी नाॅवेल पढ़ने को देती है और कहती है आई होप आपको यह पसंद आएगी......

थैंक यू सो मच कहकर करण उसकी हाथ से किताब ले लेता है और कॉर्नर में बैठकर पढ़ने लगता है तभी बाहर कोई बुक खरीदने भी आ जाता है तो समीरा उसे देखने चली जाती है.... थोड़ी देर में समीरा उसे बुक बेचकर वापस लाइब्रेरी के अंदर आ जाती है.....

   अंदर आकर समीरा देखती है की एक कोने में चेयर पर बैठा हुआ करण उसकी दी हुई नॉवेल पढ़ने में लगा है यह देखकर समीरा मन ही मन खुश होती है और ऊपर वाले को शुक्रिया बोलते हुए कहती हैं थैंक यू गॉड बचा लिया आपने वह तो अच्छा है इसे अभी तक वह बुक याद नहीं आई और आज इसका मूड भी अच्छा है...... समीरा यह सब अपने मन में बोल ही रही होती है कि तभी करण उसे आवाज देता है समीरा 1 मिनट इधर आना......

  अब इसे क्या चाहिए चुपचाप नॉवेल पढ़ता ना बैठकर- धीमी आवाज में बुदबुदाती हुई समीरा करण के पास जाती है और उससे पूछती है- क्या हुआ, कोई हेल्प चाहिए???

हां ये स्टोरी तो बहुत ज्यादा बड़ी है मैं नहीं पढ़ पाऊंगा इतने सारे पेज..... करण क्यूट सा फेस बनाते हुए समीरा से कहता है.....

हां तो फिर मत पढ़ो ना कौन सा कोई जरूरी है तुम्हारे एग्जाम में तो आने नहीं वाली यह स्टोरी रहने दो जब तुम्हें इंटरेस्ट नहीं- इतना कहकर समीरा मुड़ कर वहां से जाने लगती है तो करन उसका हाथ पकड़ लेता है और कहता है अरे मैंने यह कब कहा कि इंटरेस्ट नहीं अब तुमने सजेस्ट की है तो अच्छी ही होगी स्टोरी..... वह तो बस मुझे पढ़ना नहीं पसंद लेकिन जानना है???

तो इसमें मैं क्या मदद करूं तुम्हारी, और प्लीज हाथ छोड़ो मेरा - समीरा उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहती है

ओ सॉरी कहकर करण समीरा का हाथ छोड़ देता है और उससे कहता है तुमने तो यह नॉवेल पढ़ रखी होगी ना ??

हां बिल्कुल मैंने पूरी पढ़ी है वह भी कई बार- समीरा खुश होकर गर्व के साथ जवाब देती है

समीरा की आवाज सुनकर करण हैरान हो जाता है और कहता है सच में कई बार मैं तो एक बार इसे पूरा नहीं पढ़ सकता ग्रेट हो यार तुम तो.....

अरे इसमें ग्रेट वाली कोई बात नहीं बस मुझे पढ़ना पसंद है और तुम्हें नहीं.....

तो तुम्हें पूरी स्टोरी पता है तो तुम मुझे सुना दो ना वैसे भी स्टार्ट करने के बाद मुझे भी पूरी स्टोरी जानना है- करण बच्चों की तरह जिद करते हुए कहता है

उसकी इस बात पर समीरा चौक कर  उसकी तरफ देखती है और उससे कहती है क्या क्या कहा तुमने?? तुमने मुझे यहां खुद को स्टोरी सुनाने के लिए जॉब पर रखा है क्या..... मैं तुम्हारी मॉम नहीं हूं जो तुम्हें बच्चों की तरह स्टोरी सुनाऊं.....

समीरा एक ही सांस में ये सब बोल जाती हैं फिर उसे अपनी गलती का एहसास होता है जब तक करण वहां से उठकर जाने लगता है- तो इस बार समीरा उसका हाथ पकड़कर उसे रोकती है और उससे कहती हैं आई एम सो सॉरी करण मेरा कहने का वह मतलब नहीं था मैं तुम्हें हर्ट नहीं करना चाहती थी.......

उसकी बात सुनकर करण वहां रुक जाता है और समीरा की तरफ देखकर कहता है इट्स ओके तुम्हारी कोई गलती नहीं मैं ही अनलकी हूं कि मेरी मां भी मुझे छोड़ कर चली गई पापा तो पहले ही नहीं थे......

इतना बोलते बोलते करण की आंख में आंसू आ जाते हैं और वह एकदम चुप हो जाता है..... वह वही चेयर पर बैठ जाता है एकदम खामोश..... उसे ऐसे देख कर समीरा को अपनी गलती का एहसास होता है और उसे समझ नहीं आता कि वह क्या करें तो वह करण से कहती है- अच्छा ठीक है प्लीज मुझे माफ कर दो मैं तुम्हें वह स्टोरी सुनाऊंगी.....

नहीं मुझे नहीं सुननी है तुम जाओ अपना काम करो मैं ही पागल था मुझे भी ऐसे बच्चों जैसी जिद नहीं करनी चाहिए थी- करण नीचे जमीन की तरफ देखता हुआ बोलता है.....

इस पर समीरा वापस बुक स्टॉल की तरफ जाने लगती हैं और करण से कुछ नहीं कहती लेकिन उसका मन आत्मग्लानि से भर जाता है कि उसमें शायद अनजाने में ही सही लेकिन करण की जिंदगी के कुछ जख्म हरे कर दिए थे......

जैसे ही वह जाने लगती हैं करन उससे पूछता है- वह कल जो बुक तुम अपने घर ले गई थी पढ़ने के लिए उससे वापस अलमारी में लॉक करके रख दिया है ना???

इस पर समीरा वापस करण की तरफ मुड़ती है और उससे कहती हैं- आई एम सो सॉरी करण आज मैं वह बुक अपने घर पर ही भूल गई पर कल मैं पक्का वापस लाकर रख दूंगी, आई नो तुम्हारी मॉम का कलेक्शन.....

ठीक है कोई बात नहीं कल ले आना - करण समीरा की बात बीच में ही काटता हुआ बोलता है

समीरा को ऐसे जवाब की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी उसे लगा था करन पक्का उसे इस बात के लिए डांटेगा लेकिन करण ने ऐसा कुछ नहीं किया तो समीरा को बहुत अजीब लगा..... थोड़ी देर में ऐसे ही बैठे रहने के बाद करण उठकर शॉप से बाहर चला गया तब समीरा ने अजय से पूछा- "क्या हुआ था करण की मॉम को?"

इस पर अजय कहता है क्या हुआ समीरा तुम ऐसे क्यों पूछ रही हो बुक वाली बात पर करने कुछ कहा क्या तुमको??

अरे नहीं वही तो हैरानी की बात है कि उसने कुछ कहा नहीं- समीरा बोली

देखो ठीक से तो नहीं पता लेकिन शायद करण का फुटबॉल मैच था उसके कॉलेज के फाइनल ईयर में और उसकी मॉम किसी काम से अदर सिटी में थी तो करण की वजह से वापस आ रही थी सिर्फ उसका मैच देखने के लिए...... लेकिन यहां पहुंचने से पहले ही उनका एक्सीडेंट हो गया था और उसी एक्सीडेंट में उनकी डेथ भी हो गई थी......

करण को यह बात मैच खत्म होने के बाद पता चली उसने फुटबॉल मैच तो जीत लिया था लेकिन अपनी मां की मौत का जिम्मेदार वह खुद को ही मानता है कि अगर उसने जिद करके अपनी मॉम को मैच देखने आने को ना कहा होता तो शायद आज वह जिंदा होती..... इतना बोल कर अजय चुप हो जाता है

समीरा बिल्कुल ध्यान से अजय की सारी बातें सुन रही होती हैं सुनते सुनते उसकी भी आंखों में आंसू आ जाते हैं क्योंकि वह भी अपनी मॉम से बहुत ज्यादा प्यार करती है इसलिए वहां करण का दर्द अच्छे से फील कर सकती है उसे करण से हमदर्दी होने लगती है......

समीरा अजय और पुनीत से कहती है-थैंक यू सो मच तुम लोगों ने मुझे यह बताया मैंने अनजाने में करण को हर्ट कर दिया मुझे नहीं पता था यह सब.....

इस पर पुनीत उसे समझाते हुए बोलता है कोई बात नहीं समीरा करण ठीक हो जाएगा......

लेकिन वह इन सब का जिम्मेदार खुद को क्यों मानता है इसमें उसकी क्या गलती है..... समीरा उन दोनों की तरफ देखते हुए बोलती हैं

अजय और पुनीत कहते हैं- हम दोनों जानते हैं इसमें करण की कोई गलती नहीं होता वही है जो होना होता है हम दोनों ही उसे कई बार समझा चुके हैं लेकिन वह नहीं मानता.....

अच्छा ठीक है एक बार मैं भी समझाऊंगी करण को पागल है वह बिल्कुल- समीरा ने कहा

हां यह तो तुमने ठीक कहा- अजय कहता है तो उसकी बात पर तीनो लोग हंसने लगते हैं.....

तभी कारण वापस शॉप पर आ जाता है उन तीनों को हंसते और आपस में बात करते हुए देखकर भी कोई रिएक्ट नहीं करता और आकर वापस अपनी जगह पर वही नावेल लेकर बैठ जाता है तभी समीरा उसके पास आती है और उसके हाथ से नावेल छीनते हुए बोलती हैं- जिस काम में इंटरेस्ट नहीं वह नहीं करना चाहिए।।।।

क्या मतलब है तुम्हारा मुझे यह स्टोरी पढ़नी है वापस करो यह नॉवेल.... करण गुस्से में समीरा की तरफ देखते हुए बोलता है

अरे जब मैं सुना रही हूं तो क्यों पढ़ोगे तुम- समीरा बुक अपनी पीठ के पीछे छुपाते हुए कहती हैं

लेकिन मुझे नहीं सुननी मुझे अब पढ़ना है- करण समीरा की तरफ बढ़ता हुआ उससे बुक छीनने की कोशिश करते हुए कहता है

सॉरी बोला ना करण मुझे नहीं पता था तुम्हारी मॉम का एक्सीडेंट...... बोलते बोलते समीरा चुप हो जाती है

करण भी नॉवेल लेने की कोशिश छोड़ कर समीरा की आंखों में देखने लगता है और उससे बोलता है क्या कहा तुमने???

वही जो तुमने सुना और तुम क्यों खुद को अपनी मॉम की मौत का जिम्मेदार समझते हो, तुम्हारी मॉम जहां भी होंगी उन्हें तकलीफ होगी यह जानकर कि तुम खुद को उनकी मौत का जिम्मेदार मानते हो - समीरा करण को समझाते हुए बोलती है......

वह बात नहीं है समीरा तुम नहीं समझ सकती सिर्फ एक मॉम ही थी जिसे मैं प्यार करता था मेरी अपनी उनके जाने के बाद मैं बिल्कुल अकेला हो गया हूं- इसलिए जब भी कभी मां का नाम आता है तो मैं बहुत इमोशनल हो जाता हूं और मुझे लगता है अगर मैंने उस दिन उन्हें ना बुलाया होता जिद करके तो शायद आज हो जिंदा होती...... बोलते बोलते करण की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह चुप हो जाता है समीरा उसे हग करते हुए बोलती हैं....... डोंट क्राय करण प्लीज चुप हो जाओ नहीं तुम मुझे बहुत गिल्टी फील होगा कि मैंने एक ही दिन में तुम्हें दो बार हर्ट किया......

नहीं मैं तुम्हारी वजह से नहीं वह तो बस अपनी आंखों के आंसू पूछता हूं वह करण समीरा से दूर हटता है अच्छा ठीक है तो फिर तुम्हें यह स्टोरी सुननी होगी - समीरा बाद बदलते हुए कहती हैं

अरे नहीं मेरा बिल्कुल मन नहीं है सच में- करण बहाना बनाते हुए कहता है

अच्छा अभी थोड़ी देर पहले तुम ही तो बोल रहे थे स्टोरी सुनाने को और अब क्यों मन नहीं है??? करण अगर तुमने स्टोरी नहीं सुनी तो मुझे लगेगा तुमने मुझे माफ नहीं किया-
समीरा भी बेचारा सा फेस बनाते हुए बोलती है

इस पर करण को उसका चेहरा देखकर हंसी आ जाती हैं और वह मुस्कुराते हुए बोलता है अच्छा ठीक है मुझे सुननी है मैं तो बस बहाना कर रहा था चलो सुनाओ......

समीरा नॉवेल एक साइड में रख कर करण की साथ वाली चेयर पर बैठ जाती है और उसे स्टोरी सुनाना स्टार्ट कर देती है करण भी बहुत शौक से वह स्टोरी सुनने लगता है......


जारी......

#धारावाहिक प्रतियोगिता


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